2009 IPL का खिताब जीतने वाली फ्रेंचाइजी डेक्कन चार्जर्स को गलत तरीके से बर्खास्त करने के मामले में BCCI को बहुत बड़ा झटका लगा है। बॉम्बे हाईकोर्ट ने BCCI को आदेश दिया है कि वो 2012 में बर्खास्त हुई डेक्कन चार्जर्स टीम को 4800 करोड़ रुपये का हर्जाना दे। बॉम्बे हाईकोर्ट ने लंबे समय से चले आ रहे विवाद पर शुक्रवार को डेक्कन चार्जर्स के हक में फैसला सुनाया।
इस केस में कोर्ट ने एक आर्बिट्रेटर नियुक्त किया गया था। जिसने BCCI के खिलाफ अपना फैसला दिया है। डेक्कन चार्जर्स का मालिकाना हक पहले डेक्कन क्रोनिकल्स होल्डिंग्स (DCHL) के पास था।
BCCI के एक अधिकारी ने बातचीत में बताया कि मुंबई हाई कोर्ट द्वारा दिया गया यह फैसला पूरी तरह से आश्चर्यजनक है, लेकिन पूरा आदेश देखने के बाद ही इस पर कोई अंतिम निर्णय लिया जाएगा। हालांकि बोर्ड इस आदेश के खिलाफ अपील कर सकती है।
उन्होंने कहा, ‘ईमानदारी से कहूं तो यह एक आश्चर्य के रूप में आया है और यह देखना दिलचस्प होगा कि आगे क्या होता है। आर्बिट्रेटर पर भरोसा किया गया है और कोई आदेश पढ़ने के बाद ही उचित मूल्यांकन कर सकता है। लेकिन आप यह सुनिश्चित मान सकते हैं कि बीसीसीआई इस फैसले के खिलाफ अपील करेगा।’
आपको बता दें कि, ये मामला साल 2012 का है, जब BCCI ने डेक्कन चार्जर्स (Deccan Chargers) का कॉन्ट्रैक्ट खत्म कर दिया था। हैदराबाद की इस फ्रेंचाइजी ने BCCI के फैसले को अदालत में चुनौती दी थी। डेक्कन चार्जर्स ने बॉम्बे हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था और इस मामले की जांच के लिए अदालत ने रिटायर्ड न्यायाधीश सी के ठक्कर (CK Thakkar) को आर्बिट्रेटर नियुक्त किया था।
IPL की फ्रेंचाइजी समझौते के आधार पर आर्बिट्रेशन की प्रक्रिया शुरू हुई। सुनवाई के दौरान डेक्कन चार्जर्स ने 6046 करोड़ रुपये के हर्जाने और ब्याज की मांग की थी। BCCI ने इस कॉन्ट्रैक्ट को रद्द करने के निर्णय के पीछे पूरा तर्क दिया था। अंत में फैसला BCCI के खिलाफ ही गया।
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